दिशा शूल से जाने किस दिन कौन सी दिशा में यात्रा न करें. आपने कभी सोचा है कि आपके बुजुर्ग तिथि देख कर आपके आने जाने की रोक टोक करते हैं. आजकल की जवान पीढ़ी बुजुर्गो को अन्धविसवासी और आउटडेटेड मानती है. लेकिन बड़े हमेशा बड़े ही रहते हैं. इसलिए हमे उनका आदर करना चाहिए. साथ ही उनकी बातों का भी आदर करना चाहिए.
अगर यही चलन चलता रहा तो आगे आने वाली पीढ़ी हमे पुराना बताएगी. आज हम आपको दिशाशूल (Disha Shool) के बारे में बता रहे है. इस को समझने से पहले आपको दस दिशाओं के विषय में ज्ञान होना जरूरी है.दिशा शूल
हमारे ज्ञान के अनुसार 4 दिशाएं होती हैं
पूर्व
पश्चिम
उत्तर और
दक्षिण
वास्तव में दिशाएं 10 होती है
पूर्व
पश्चिम
उत्तर
दक्षिण
उत्तर – पूर्व
उत्तर – पश्चिम
दक्षिण – पूर्व
दक्षिण – पश्चिम
आकाश
पाताल
सनातन धर्म के ग्रंथो में सदैव 10 दिशाओं का ही वर्णन किया गया है. जैसे युद्ध में हनुमान जी की आवाज दसों दिशाओं में सुनाई दी थी. हम यह भी जानते हैं कि प्रत्येक दिशा के देवता होते हैं.
दसों दिशाओं को समझने के पश्चात अब हम बात करते हैं वैदिक ज्योतिष की – ज्योतिष शब्द “ज्योति” से बना है. जिसका अर्थ होता “प्रकाश” है.
वैदिक ज्योतिष में अत्यंत विस्तृत रूप में मनुष्य के जीवन की हर परिस्तिथियों से सम्बन्धित विश्लेषण किया गया है. मनुष्य यदि इसको तनिक भी समझ ले तो वह अपने जीवन में उत्पन्न होने वाली बहुत सी समस्याओं से बच सकता है. अपना जीवन सुखी बना सकता है.
आप जब भी बाहर की यात्रा के लिए जाए तो कार्य सफलता के लिए दिशा शूल का विचार करके जाए ताकि आने वाली परेशानी से बचा जा सके.
किस दिन हमे कहाँ नही जाना चाहिए
सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा
रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा
मंगल वार और बुधवार को उत्तर दिशा
गुरु वार को दक्षिण दिशा
सोमवार और गुरूवार को (अग्ने ) South East
रविवार और शुक्रवार को (नेतरअगये ) South West
मंगलवार को (वायवे ) Northorth West
बुध और शनि को (ईशान ) North East
बुध को उत्तर दिशा का स्वामी होते हुए भी बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा निषेध है.
दिशा शूल होता है अर्थात इस दिन इन दिशायो की और यात्रा नहीं करनी चाहिए.
विशेष ध्यान देने योग्य बात
यदि एक जगह से रवाना हो कर उसी दिन गंतव्य स्थान पर पहुंचं जाना तय हो तो ऐसी यात्रा में तिथि, वार नक्षत्र,दिशा-शूल,प्रतिशुक,योगनी आदि का विचार नहीं होता है.
आपातकालीन यात्रा कैसे करें
यदि फिर भी किसी कारन वश आपातकालीन यात्रा करनी पड ही जाये और दिशा शूल भी हो तो नीचे लिखे उपाए कर के यात्रा कर सकते है.
रविवार को दलिया और घी खाकर
सोमवार को दर्पण देख कर
मंगलवार को गुड खा कर
बुधवार को धनिया या तिल खा कर
वीरवार को दही खा कर
शुक्रवार को जों खा कर
शनिवार को अदरक या उड़द खा कर
ये करके दिशा शूल के प्रकोप से बचा जा सकता है और आप अपनी यात्रा को सुखद पूर्वक और मंगलमय बना सकते है.
अगर यही चलन चलता रहा तो आगे आने वाली पीढ़ी हमे पुराना बताएगी. आज हम आपको दिशाशूल (Disha Shool) के बारे में बता रहे है. इस को समझने से पहले आपको दस दिशाओं के विषय में ज्ञान होना जरूरी है.दिशा शूल
हमारे ज्ञान के अनुसार 4 दिशाएं होती हैं
पूर्व
पश्चिम
उत्तर और
दक्षिण
वास्तव में दिशाएं 10 होती है
पूर्व
पश्चिम
उत्तर
दक्षिण
उत्तर – पूर्व
उत्तर – पश्चिम
दक्षिण – पूर्व
दक्षिण – पश्चिम
आकाश
पाताल
सनातन धर्म के ग्रंथो में सदैव 10 दिशाओं का ही वर्णन किया गया है. जैसे युद्ध में हनुमान जी की आवाज दसों दिशाओं में सुनाई दी थी. हम यह भी जानते हैं कि प्रत्येक दिशा के देवता होते हैं.
दसों दिशाओं को समझने के पश्चात अब हम बात करते हैं वैदिक ज्योतिष की – ज्योतिष शब्द “ज्योति” से बना है. जिसका अर्थ होता “प्रकाश” है.
वैदिक ज्योतिष में अत्यंत विस्तृत रूप में मनुष्य के जीवन की हर परिस्तिथियों से सम्बन्धित विश्लेषण किया गया है. मनुष्य यदि इसको तनिक भी समझ ले तो वह अपने जीवन में उत्पन्न होने वाली बहुत सी समस्याओं से बच सकता है. अपना जीवन सुखी बना सकता है.
आप जब भी बाहर की यात्रा के लिए जाए तो कार्य सफलता के लिए दिशा शूल का विचार करके जाए ताकि आने वाली परेशानी से बचा जा सके.
किस दिन हमे कहाँ नही जाना चाहिए
सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा
रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा
मंगल वार और बुधवार को उत्तर दिशा
गुरु वार को दक्षिण दिशा
सोमवार और गुरूवार को (अग्ने ) South East
रविवार और शुक्रवार को (नेतरअगये ) South West
मंगलवार को (वायवे ) Northorth West
बुध और शनि को (ईशान ) North East
बुध को उत्तर दिशा का स्वामी होते हुए भी बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा निषेध है.
दिशा शूल होता है अर्थात इस दिन इन दिशायो की और यात्रा नहीं करनी चाहिए.
विशेष ध्यान देने योग्य बात
यदि एक जगह से रवाना हो कर उसी दिन गंतव्य स्थान पर पहुंचं जाना तय हो तो ऐसी यात्रा में तिथि, वार नक्षत्र,दिशा-शूल,प्रतिशुक,योगनी आदि का विचार नहीं होता है.
आपातकालीन यात्रा कैसे करें
यदि फिर भी किसी कारन वश आपातकालीन यात्रा करनी पड ही जाये और दिशा शूल भी हो तो नीचे लिखे उपाए कर के यात्रा कर सकते है.
रविवार को दलिया और घी खाकर
सोमवार को दर्पण देख कर
मंगलवार को गुड खा कर
बुधवार को धनिया या तिल खा कर
वीरवार को दही खा कर
शुक्रवार को जों खा कर
शनिवार को अदरक या उड़द खा कर
ये करके दिशा शूल के प्रकोप से बचा जा सकता है और आप अपनी यात्रा को सुखद पूर्वक और मंगलमय बना सकते है.
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