मुंडन मुहूर्त 2021 का महत्व
ज्योतिष अनुसार मुंडन संस्कार संपन्न करने के लिए, उसका शुभ मुहूर्त निकलवाना बेहद ज़रूरी होता है। चूँकि ये संस्कार बच्चे के जीवन पर बहुत तरीकों से अपना प्रभाव छोड़ता है, इसलिए इसे सही मुहूर्त अनुसार कराना अनिवार्य हो जाता है। माना जाता है कि इस संस्कार से बच्चों के बल, बुद्धि और पराक्रम में वृद्धि होती है। जो बच्चे बचपन में चंचल प्रकृति के होते हैं, उनका यदि मुंडन सही मुहूर्त अनुसार किया जाए तो उनकी मानसिक चंचलता और अन्य प्रकार के सभी विकारों से बचाव हो सकता है। मुंडन के बाद बच्चों की बौद्धिक शक्ति का भी विकास होता है। ऐसे में लोग इस कर्मकांड को शुभ मुहूर्त अनुसार ही आरंभ करना उचित मानते हैं।
क्यों किया जाता है मुंडन संस्कार
पौराणिक काल से ही मुंडन संस्कार का बहुत खास महत्व रहा है। माना जाता है कि मुंडन कराने के बाद बच्चों को प्रत्यक्ष रूप से कई विशेष लाभ प्राप्त होते हैं, जिससे बच्चे के शरीर की अनावश्यक गर्मी खत्म होती है। जन्म के समय देखा जाता है कि, बच्चों का सिर बहुत कमजोर और गर्म रहता है। ऐसे में मुंडन के बाद सिर को तो मजबूती मिलती ही है, साथ ही मस्तिष्क भी सामान्य से ठंडा हो जाता है। डॉक्टर भी मुंडन संस्कार को विशेष महत्वपूर्ण मानते हैं। उनके अनुसार बच्चों के जब दाँत निकलते हैं तो, उस समय उन्हें सिर दर्द होता है। ऐसे में मुंडन करने से उन्हें, दाँत निकलने के समय सिर के दर्द के साथ-साथ तालु के कांपने की समस्या से भी राहत मिलती है। जन्म के समय के बाल आमतौर पर बेहद हल्के और कमज़ोर होते है, लेकिन मुंडन के बाद बच्चों के केश काले और मजबूत निकलने लगते हैं। ऐसे में इस महत्वपूर्ण संस्कार को और भी अधिक शुभ और लाभकारी बनाने के लिए, इसे शुभ मुहूर्त अनुसार किया जाना अनिवार्य हो जाता है।
मुंडन मुहूर्त की गणना और संपन्न करने का समय?
मुंडन संस्कार के लिए उचित शुभ मुहूर्त निकालना बेहद सरल है। इसे हम किसी ज्योतिषी विशेषज्ञ या किसी विद्वान पुरोहित की मदद से भी निकलवा सकते हैं। हिन्दू पंचांग अनुसार, मुंडन करने के लिए शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि, शुभ वार और शुभ लग्न का होना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में पुरोहित इन्ही का सही आकलन कर मुहूर्त की गणना करते हैं। इस दौरान हमे भी कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- माना जाता है कि जिन बच्चों का जन्म चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ में हुआ हो उनका इस माह में मुंडन संस्कार नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही घर के बड़े बच्चे का भी मुंडन इस माह के दौरान करना अशुभ माना गया है।
- जबकि आषाढ़ में मुंडन संस्कार आषाढ़ी एकादशी से पहले और माघ और फाल्गुन मास में कराना शुभ माना गया है।
- तिथियों में द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथि मुंडन संस्कार के लिए उचित मानी गई हैं।
- सप्ताह के दिनों में से सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार मुंडन संस्कार के लिए शुभ माने गए हैं। लेकिन इस दौरान एक बात का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है कि यदि किसी बालिका का मुंडन करना चाह रहे हैं तो, उसके लिए शुक्रवार का दिन वर्जित माना गया है।
- अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाति, ज्येष्ठ, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र मुंडन संस्कार के लिए उत्तम बताए गए हैं।
- ज्योतिषी विशेषज्ञ बच्चे के जन्म मास व जन्म नक्षत्र और चंद्रमा के चतुर्थ, अष्टम, द्वादश और शत्रु भाव में स्थित होने पर मुंडन संस्कार इस स्थिति में आरंभ किये जाना निषेध मानते हैं। वहीं कई लोग जन्म नक्षत्र या जन्म राशि को बच्चे के मुंडन के लिए शुभ समय मानते हैं।
- इसके साथ ही द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, षष्टम, सप्तम, नवम या द्वादश राशियों के लग्न या इनके नवांश में मुंडन प्रक्रिया आरंभ होना बेहद शुभ रहता है।
- मान्यता अनुसार, बच्चे के जन्म के बाद से ही 3, 5 और 7वें वर्ष में मुंडन संस्कार करना चाहिए। हालांकि कई लोग इसे अपनी कुल परंपरा अनुसार, जन्म के प्रथम वर्ष में भी इसे संपन्न कर सकते हैं।
- मुंडन संस्कार के दिन घर में किसी पंडित की मदद से यज्ञ या हवन होना अनिवार्य होता है।
- ज्योतिष शास्त्र अनुसार, बालकों का मुंडन विषम वर्ष यानि 3, 5 और 7 में होना उचित रहता है, जबकि बालिकाओं का मुंडन सम वर्षों यानि जन्म से 2, 4, 6, 8 वर्ष में कराना अच्छा माना गया है।
मुंडन संस्कार के समय ज़रूर बरतें ये सावधानियाँ
- बच्चे का मुंडन कराने से पहले विधि-विधान अनुसार उस्तरे या कैंची का पूजन आवश्यक करें। ऐसा न करना अशुभ माना जाता है।
- अपने बच्चे के मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी की मदद से ही निकलवाए, क्योंकि इस संस्कार को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में इसके प्रति छोटी भी लापरवाही भी आपके बच्चे को जीवन भर परेशानी दे सकती है।
- मुंडन संस्कार किसी धार्मिक स्थान पर करना उचित रहता है।
- बच्चे का मुंडन होने के कुछ दिनों बाद तक, बच्चे को घर में ही रखें। अन्यथा बाहर जाने पर बच्चे को नकारात्मक शक्तियों द्वारा प्रभावित होने का खतरा बना रहता है।
- मुंडन संस्कार होने के बाद बच्चे के हाथों से दान-पुण्य करना लाभकारी सिद्ध होता है।
- मुंडन संस्कार के दौरान बच्चे के परिवार के सभी सदस्यों का होना, अनिवार्य होता है।
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