विवाह मुहूर्त 2021: शुभ मुहूर्त का महत्व
उपरोक्त दी गई शुभ विवाह मुहूर्त 2021 की सूची में, आपको विवाह मुहूर्त 2021 की पूरे वर्ष की सभी शुभ तिथियों की जानकारी स्पष्ट रूप से दी गई है। इस सूची की आवश्यकता इसलिए भी ख़ास हो जाती है, क्योंकि हिन्दू धर्म में हर शुभ एवं मांगलिक कार्य के लिए पंचांग अनुसार उसका एक शुभ मुहूर्त निर्धारित किया गया है। जिसके अनुसार ही वो शुभ कार्य करना उचित माना जाता है।
चूँकि सनातन धर्म में विवाह पौराणिक काल से लेकर आज के आधुनिक समय में भी एक ऐसा शुभ अवसर माना जाता है, जिस दौरान दो परिवार और दो लोग (पुरुष-स्त्री) एक पवित्र बंधन में शुभ मुहूर्त अनुसार बंधते हैं। इसलिए ही इसे केवल एक जन्म का ही बंधन नहीं, बल्कि पूरे सात जन्मों का रिश्ता बताया गया है। इस संस्कार के दौरान वर-वधु अपने आने वाले वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए, अग्नि देवता को साक्षी मानकर उनके समक्ष सात फेरे लेते हुए, आपस में सात वचन लेते है। क्योंकि इन सात फेरों से सात जन्मों का रिश्ता सुनिश्चित होता है, इसलिए ही इसे एक निश्चित शुभ समय में किया जाना बेहद अनिवार्य हो जाता है और विवाह के इसी शुभ समय को विवाह मुहूर्त कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो विवाह को संपन्न करने के लिए वैदिक पंचांग के द्वारा निर्धारित की गई समयावधि को ही विवाह मुहूर्त कहते हैं।
कैसे की जाती है विवाह मुहूर्त 2021 की गणना?
ज्योतिष अनुसार कुंडली में मौजूद सातवाँ भाव, विवाह भाव बताया गया है। ऐसे में इस भाव को शुभ मुहूर्त निकालते हुए अधिक महत्व दिया जाता है। ज्योतिषी द्वारा कुंडली में गुण मिलान की प्रक्रिया सफलता पूर्वक संपन्न होने के बाद ही वर-वधु की जन्म राशि के आधार पर उनके शुभ विवाह संस्कार के लिए शुभ तिथि, वार, नक्षत्र तथा समय की गणना की जाती है और यही गणना विवाह मुहूर्त कहलाती है।
आमतौर पर शुभ विवाह मुहूर्त के लिए सभी ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है। आइये इस पर भी डालते हैं एक नज़र:-
विवाह मुहूर्त निकालते समय, ये देखा जाता है कि वर अथवा वधु के जन्म के दौरान चंद्र किस नक्षत्र में था।
इसका ज्ञात होने के बाद उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर को विवाह के मुहूर्त के लिए शुभ तिथि ज्ञात करने में प्रयोग किया जाता है।
शुभ विवाह मुहूर्त निकालते समय दोनों ही वर-वधु की राशियों में विवाह के लिए एक समान तिथि का प्रयोग किया जाता है।
विवाह मुहूर्त 2021 में लग्न का महत्व
विवाह में लग्न का अर्थ फेरे के शुभ समय और उस दौरान निभाई जाने वाली हर परंपरा को बताया गया है। लग्न की गणना भी शुभ समय में की जाती है, जिसे आमतौर पर विवाह की शुभ तारीख़ तय होने के बाद ही निर्धारित किया जाता है। हिन्दू धर्म में इसका बहुत अधिक महत्व होता है। माना तो ये भी जाता है कि, यदि किसी भी कारणवश लग्न की गणना करते समय कोई भी चूक या ग़लती हो जाए तो, इसका नकारात्मक प्रभाव नव-विवाहित जोड़े के दांपत्य जीवन पर सीधा पड़ सकता है। विवाह के लग्न में हुई गलती एक गंभीर दोष मानी जाती है। सभी 16 संस्कारों में से 13वे स्थान पर आने वाले विवाह संस्कार में शुभ तिथि को शरीर, चंद्र राशि को मन, नक्षत्रों को शरीर का अंग और विवाह के लग्न को आत्मा बताया गया है। जिससे साफ़ ज्ञात होता है शुभ लग्न के बिना शुभ विवाह पूरी तरह अधूरा ही रहता है। इसलिए भी विवाह में लग्न का महत्व अधिक होता है।
विवाह मुहूर्त 2021 के दौरान इन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान:-
वर-वधु की कुंडलियों का मिलान कर उनमें से जो तारीख़े समान निकलकर आती है, उसी तारीखों में वर और वधु का विवाह होना शुभ माना जाता है।
शुभ विवाह मुहूर्त को निकालते वक़्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, वर-वधु के जन्म से लग्न या उनकी जन्म राशि से अष्टम राशि का लग्न, दोनों में से किसी का भी विवाह लग्न नहीं होना चाहिए।
वर और वधु में से किसी की भी कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी विवाह लग्न में स्थित नहीं होना चाहिए।
विवाह लग्न से 12वे भाव में शनि व 10वे भाव में मंगल देव स्थित नहीं होने चाहिए।
गणना के दौरान ये भी ध्यान रखना अनिवार्य होता है कि, दोनों की कुंडली के विवाह लग्न से तृतीय स्थान में शुक्र व लग्न भाव में कोई भी क्रूर/पाप ग्रह मौजूद नहीं होना चाहिए।
घर के बड़े लड़के या बड़ी लड़की का विवाह जन्म मास, जन्म नक्षत्र, जन्म तिथि, जन्म लग्न में करना बेहद अशुभ, जबकि घर के बड़े लड़के के बाद की संतान का विवाह जन्म मास, जन्म नक्षत्र, जन्म तिथि में करना बहुत ही शुभ माना गया है।
विवाह संस्कार के समय वर-वधु के सगे भाई-बहन का विवाह उनके विवाह के 6 महीनों के अंदर नहीं करना चाहिए।
यदि घर में किसी का विवाह संस्कार हुआ है तो, विवाह के 6 महीने के अंदर मुण्डन, यज्ञोपवीत, ग्रह प्रवेश, आदि जैसे शुभ संस्कार आरंभ नहीं किये जाने चाहिए।
कोई भी शुभ विवाह पंचांग अनुसार चातुर्मास में नहीं किया जाता, क्योंकि मान्यता अनुसार इस दौरान भगवान विष्णु समेत समस्त देवी-देवता अपने शयन में निंद्रावस्था में होते है, इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।
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